आजकल हर व्यक्ति के पास एक बैंक खाता होता है, जिससे वह अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करता है। बैंक खाते से पैसे निकालने, ट्रांजैक्शन करने और अन्य बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इन्हीं नियमों में से एक न्यूनतम बैलेंस मेंटेन करना भी शामिल है।
न्यूनतम बैलेंस का नया नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में मिनिमम बैलेंस चार्ज (Minimum Balance Charges) से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। अब ग्राहकों को बैंकों द्वारा तय की गई न्यूनतम बैलेंस राशि अपने खाते में बनाए रखनी होगी। अगर खाता धारक इस सीमा को पूरा नहीं करता है, तो उसे अतिरिक्त चार्ज या पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
अलग-अलग बैंकों की न्यूनतम बैलेंस सीमा
1. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)
- बड़े शहरों में: ₹3000
- छोटे शहरों में: ₹2000
- ग्रामीण क्षेत्रों में: ₹1000
2. आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank)
- बड़े शहरों में: ₹10,000
- छोटे शहरों में: ₹2500
- ग्रामीण क्षेत्रों में: ₹1000
3. एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank)
- बड़े शहरों में: ₹10,000
- छोटे शहरों में: ₹5000
- ग्रामीण क्षेत्रों में: ₹2500
4. पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
- बड़े शहरों में: ₹2000
- ग्रामीण क्षेत्रों में: ₹1000
न्यूनतम बैलेंस न रखने पर क्या होगा?
अगर खाता धारक अपने बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस मेंटेन नहीं करता, तो बैंक उसके खाते से अतिरिक्त चार्ज (Penalty) काट सकता है। यह चार्ज हर बैंक में अलग-अलग हो सकता है। इसलिए, मिनिमम बैलेंस को बनाए रखना जरूरी है, ताकि आपको अनावश्यक चार्ज न भरना पड़े।
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क्या करें?
- अपने बैंक के न्यूनतम बैलेंस नियमों की जानकारी लें।
- यदि संभव हो तो ऑटोमैटिक फंड ट्रांसफर सेट करें, ताकि बैलेंस हमेशा बनाए रखा जा सके।
- जीरो बैलेंस सेविंग अकाउंट का विकल्प चुन सकते हैं, जिसमें न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती।
बैंकों द्वारा निर्धारित मिनिमम बैलेंस मेंटेन करना जरूरी है, ताकि आपको अतिरिक्त चार्ज न देना पड़े। हर बैंक में यह सीमा अलग-अलग होती है, इसलिए अपने बैंक के नियमों को जरूर जानें और उनका पालन करें।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।